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पहले पिता फिर बेटा
ख्वाहिश की दौड़ ने
किसको नहीं लपेटा
बचे हुए
जो हम थोड़े हैं इंसान
फिर भी नही समझ पा रहे
यहाँ हर कोई ही
एक से बढ़ कर एक है अभिनेता!
और अगर सच में
है कोई भी एक सिद्ध गुरु
कोई इंसानियत की सेवा का सच्चा प्रणेता
तो फिर क्यों चल रहें हैं अस्पताल
क्यों उनका जादू
इंसानों मे सुख का बीज नही बोता?
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Aur Thoda Aage Aa Kar-
एक अकेले बेचारे पर
लगातार इल्ज़ाम लगाए जा रहे हैं!
वो बेचारा बोल नहीं पा रहा
उसे सताए जा रहे हैं!
थोड़ी तो मदद करो उसकी
और थोड़ी खुद की
उसके संगी-साथियों को भी तो
ज़रा बुलावा भेज दो!
बाबा-दादा-गुरु वाले जिन नाटकों पर
हम जीवन व्यर्थ कर रहे हैं!
उनको एक बार तो
एक कसौटी पर रख कर चीर दो!
अकेले को सज़ा मत दो!
इंसान का ढोंग बनाते
ऐसे हर गुनहगार को
इंसानियत के लिए
दरिन्दगी भरी मौत दो!
और जो सच मे सच्चे हैं…
उन्हे अस्पतालों में बिठा दो…
बीमारों, कमजोरों, इंसानों की मदद करने दो उन्हें !!!
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