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!!! कहाँ है भारत !!!

ikshit
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संसद मे बड़े जोश-ख़रोश से मुद्दा उठाया जा रहा है कि चीन ने हमारी सीमा में घुस-पैठ कर दी और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. सभी मिल कर सरकार को और चीन को खरी-खोटी सुनाने में जुटे हुए हैं. पर सच्चाई कितनों को और कितनी पता है! चीनी सेना ने भारतीय भू-भाग के जिस हिस्से मे अपना झंडा फहराया है, बीहड़ जैसे सूनसान उस इलाक़े मे पहुचने के लिए चीन ने अपनी राष्ट्र-सीमा मे और उससे आगे भारतीय ज़मीन पर हाइ-वे जैसे रस्तो का निर्माण कर रखा है. पर कभी सोने की चिड़िया रहा भारत आज इतना ग़रीब हो चुका है, कि आज़ादी के 6 दशक पूरे हो जाने के बाद भी आज देश की सीमा तक सैनिको को पहुचाने के लिए सड़को का निर्माण-कार्य एक दूभर क्र्त्य है. जहाँ चीनी सैनिक अपने पूरे हथियारों के जखीरे के साथ भारतीय सीमा मे आ कर आराम फर्मा रहे हैं, वहीं भारतीय सेना के पास इतने संसाधन तक नही की अपने भारी ताकतवर शस्त्रों के साथ अपनी ही सीमा की सुरक्षा के लिए उपलब्ध हो सकें. देश के विकास के ठेकेदारों को इस तथ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि 2जी-3जी और बड़ी-बड़ी फॅक्टरी के घोटाले में शामिल होने से पहले, कम से कम अपने देश की सीमा को तो सुरक्षित कर लिया जाए. अगर खाना ही है, तो सड़क के पत्थरों की कीमत से पैसा खा लें, पर कम से कम टूटी-फूटी ही सही, देश की सीमा तक पहुँचने के लिए तो सड़कें बनवा दें. फिर आराम से किसी भी सरकार पर निशाना लगाया जाए कि उसे ये करना चाहिए और वो करना चाहिए, क्योंकि तब शायद इरादा बनने पर देश के सैनिक अपने दुश्मनो से लोहा लेने मे सक्षम हो सकें.
और यहाँ पर यह बात ख़ास तौर से गौर देने लायक है की हमे कब तक गाँधी-नीति पर अटल रहना है. बापू जो भी कह कर गये, और जो भी कर के गये, उसमें से कुछ भी संदेहास्पद नहीं था. परंतु आज परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं. इन हालातों में हम फिर से उसी गर्त की ओर अग्रसर हैं, जहाँ से विदेशी ताकते हम पर अपने नियम-क़ानून थोपने का प्रयास करने की ताक मे हैं. यहाँ पर देश के सियासतदारों का यह कर्त्तव्य है की कुर्सी की खोखली राजनीति के मोह से परे हट कर देश के लिए सोचे. आज आवश्यकता है की ठोस कदम उठाया जाए और हम भी ईंट का जवाब पत्थर से दे सकते हैं, इस उक्ति को कोरा कथन बना कर रखने की बजाय, शब्दो को चरितार्थ करने की कोशिश की जाए. यही समय की माँग है, यही देश की माँग है और यही खामोशी से चुप-चाप जीती जनता के दिल मे छिपी आग है.

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