ikshit
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गाँधीवाद की कामयाबी
फिर से जोरों पर है!
दोस्तों,
एक और पाकिस्तान से लड़ने से बचना है
तो चप्पलें उठा लो हाथों में
आज गाँधी
महात्मा मोहन दास जी नहीं,
आज गाँधी सारे
फूल रहे स्वार्थ के ढेरों पर हैं.
अपने बोलों में क्रांति भर लो
मिठास को ताड़ रहे हैं सारे शिकारी,
दिखाना देश की जनता को है
हिन्दुस्तान सो तो रहा है
पर हिन्दुस्तानी आज भी बेहतर
कल से सीखी
अपनी भूलों पर हैं!
जय हिंद!
जय देश की क्रांति!
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