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गहरी रातों में
बंद बातें
अक्सर बहुत बोलती हैं
जब तेरी साँसें
मेरे कानों में
ढेरों अनजानी खुशियाँ घोलती हैं!
एक अजब गुदगुदाहट होती है
चुपके से आँखें जाग उठती हैं
दो अंगुल पीछे को सरक जाता हूँ
मासूमियत की सबसे प्यारी सूरत
सीधी मेरी नज़रों के पास होती है
अहसासों पर तब होता है बड़ा नाज़
कि क्यों किसी की नज़दीकी इतनी ख़ास होती है
बहुत सवाल होते हैं
पूरी जिंदगी भर ऐसे ही तुझसे पूछने के लिए
मैं तेरे गालों पर
एक उंगली की छुअन से
किसी एक पहले जवाब की इबारत भरने की
कोशिश करता हूँ
पर जाने कब ये वक्त गुजर जाता है
और कुछ तुम जैसी ही नर्म
सूरज की पहली रोशनी से
फिर एक नये दिन की मुलाकात होती है
सिर्फ़ शायद यही समझाने के लिए
कि क्यों जिंदगी
तुम्हारे आने से इतनी ज़्यादा खूबसूरत
हर घड़ी ही जैसे
एक नयी खुशी का
एक बिल्कुल नया सा नाम होती है!
कि गहरी रातों में
अक्सर तेरी साँसों से
मेरी बहुत-बहुत-बहुत बात होती है!
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