Menu
blogid : 12933 postid : 714738

??? रोज एक नयी मौत क्यों ? : देश बचाओ… राजनीति नहीं… ???

ikshit
ikshit
  • 51 Posts
  • 32 Comments

रोज ही मौत हो रही है!
—–*—–*—–*—–*—–*—–
नौसेना के धवल-पटल पर
रक्तिम जीवन विह्वल छण अतिरेक!
—–*—–*—–*—–*—–*—–
है विशेष…
दुश्मन की गोली से नहीं
अपनों की यंत्रणा से
संहार का तांडव चँहु-ओर!
खून के छींटे
दागदार कर रहे
श्वेत वर्दी को
वर्दी वाले
स्वयं स्तब्द्ध
किसलिए
राजनीति की कीमत पर
ये देश का मटिया-मेट?
हैं स्वतंत्र हम
संविधानित राजनेता सब
कहते हैं
पर परतंत्रता की परिपाटी का प्रखर
कायम है आलेख
अँग्रेज़ों के ठान्से गये नियमों से
ताक रहा सैनिक
अपने मुँह ठूंस अपना आवेश…
किससे कहे
अपनी दुर्दशा का चूसता परिवेश…
हर गोली अपनी चीर रही
अपना ही सैनिक
भला और किस ताकतवर पर
और भला कैसे निकले
मान को कचोटता ये क्लेश?
अंदर ही अंदर धधक रहा
जीवन-विद्वेष!
सच्चाई के इस कत्ल पर भी
भ्रष्टाचार का भारी आतिथ्य पुर-ज़ोर
इसे
यहाँ नहीं जानता भला कौन?
देश से खेलती जनता के खिलवाड़ से
पूंछ रहा है
अपनी रोज की मौत पर
देश का सैनिक मौन!
जनता मौन
और भारत का भाग्य-विधाता… जाने भला कौन?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply